कुंडली में जब मंगल की महादशा चलती है तो अन्य ग्रहों की अंतर्दशाएं भी आती हैं, जो इसके प्रभाव को बदल सकती है. जैसे- मंगल की महादशा में मंगल की अंतर्दशा के बाद राहु, गुरु और शनि की भी अंतर्दशा आती है, जो ज्योतिष के अनुसार क्रम से चलती है.
मंगल की महादशा लगभग 7 साल तक रहती है और इसमें इन ग्रहों की अंतर्दशाओं के दौरान जीवन पर अलग-अलग प्रभाव पड़ते हैं, जो व्यक्ति की कुंडली में ग्रहों की स्थिति पर निर्भर करते हैं.
मंगल की महादशा में अंतर्दशाओं का क्रम
मंगल की अंतर्दशा- यह मंगल की महादशा का प्रारंभिक चरण होता है. इस समय व्यक्ति में आत्मविश्वास, साहस और ऊर्जा का संचार होता है. यदि मंगल शुभ भाव में स्थित है तो यह काल करियर में उन्नति और सम्मान दिला सकता है.
राहु की अंतर्दशा- मंगल के बाद राहु की अंतर्दशा आती है. राहु और मंगल का संयोजन "अंगारक योग" कहलाता है. यदि मंगल और राहु कमजोर हों तो यह समय दुर्घटना, आगजनी, विवाद और संबंधों में तनाव का कारण बन सकता है.
गुरु की अंतर्दशा- राहु के बाद गुरु की अंतर्दशा आती है. यह काल आध्यात्मिक उन्नति, ज्ञान और प्रतिष्ठा में वृद्धि का समय होता है. यदि गुरु बलवान हो तो यह समय करियर और शिक्षा में सफलता लाता है.
शनि की अंतर्दशा- मंगल महादशा के अंतिम चरण में शनि की अंतर्दशा आती है. यह समय परिश्रम, अनुशासन और जिम्मेदारियों से जुड़ा होता है. शनि अशुभ स्थिति में यह मानसिक तनाव और कार्यों में विलंब दे सकता है.
शुभ अशुभ प्रभाव
जब मंगल और अंतर्दशा वाले ग्रह शुभ स्थिति में होते हैं, तो जातक को करियर में सफलता, संपत्ति में वृद्धि, और सरकारी लाभ मिल सकता है. यदि मंगल या अंतर्दशा वाले ग्रह अशुभ स्थिति में हों, तो क्रोध, दुर्घटना, कानूनी परेशानी, और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं.
अन्य ग्रहों की अंतर्दशा- मंगल की महादशा के दौरान अन्य ग्रहों की अंतर्दशाएं भी आती हैं. उदाहरण के लिए, शुक्र महादशा में मंगल की अंतर्दशा उत्साह बढ़ाती है, लेकिन पत्नी को हानि और रक्त संबंधी समस्याएं भी दे सकती है.
