डॉ मोहन यादव सरकार के एतिहासिक निर्णय ने 15 नवम्बर, राष्ट्रीय जनजाति गौरव दिवस को राष्ट्रीय स्तर के प्रमुख चार दिवसों के समकक्ष महत्वपूर्ण दिवस बना दिया। मध्यप्रदेश की मोहन सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि हम अपने जनजाति समाज के योगदान को सम्मानपूर्वक गौरव के साथ स्वीकार करते हैं।
राष्ट्रीय स्तर के प्रमुख चार दिन भारत के इतिहास में महत्वपूर्ण पड़ावों का प्रतीक है, इन चार राष्टीय प्रमुख दिवसो पर पूरे देश में आजीवन कारावास के कैदियों को उनके अच्छे आचरण को देखते हुए समय-पूर्व रिहाई दी जाती है जैसे स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त) ब्रिटिश शासन से मुक्ति का प्रतीक है,
गणतंत्र दिवस (26 जनवरी) संविधान लागू होने और भारत को एक गणराज्य बनने का उत्सव हैं, गांधी जयंती (2) अक्टूबर) राष्ट्रपिता की जयंती और डा. भीमराव अंबेडकर जयंती (14 अप्रैल) समानता दिवस का प्रतीक ठीक उसी प्रकार भगवान बिरसा मुण्ड़ा जयंती (15 नवम्बर) राष्ट्रीय जनजाति गौरव दिवस जो जनजाति समाज की परम्परागत प्राचीन सनातन संस्कृति के संरक्षण, "स्वधर्म" से "स्वराज" की स्थापना के संघर्ष और अस्मिता के पुर्नजागरण के प्रतीक के रूप में स्मरण करने का दिन है।
राज्यपाल के इस निर्णय ने समाज में यह संदेश दिया कि राष्ट्रीय जनजाति गौरव दिवस केवल जनजातीय समुदाय तक सीमित नहीं बल्कि समाज के हर वर्ग का दिन है तभी तो पात्रता नियमानुसार केन्द्रीय जेल जबलपुर में परिरूद्ध आजीवन कारावास के हर वर्ग के 06 दण्डित बंदियों (05 पुरुष बंदी एवं 01 महिला बंदिनी) को समय पूर्व रिहा किया जावेगा।
